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मकर संक्रांति : पूजा व‍िधि, मंत्र, स्‍नान का शुभ मुहूर्त, महत्‍व और मान्‍यताएं | मकर संक्रांति आज, भूल कर भी न करें यह 5 काम.... |

मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्‍नान और दान-पुण्य करने का व‍िशेष महत्‍व है. इस द‍िन ख‍िचड़ी का भोग लगाया जाता है. यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए ख‍िचड़ी दान करने का भी व‍िधान है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है.


खास बातें

  • मकर संक्रांति के द‍िन सूर्य दक्ष‍िणायन से उत्तरायण होते हैं
  • इस द‍िन तड़के सुबह स्‍नान कर सूर्य उपासना का व‍िशेष महत्‍व है
  • मकर संक्रांत‍ि के मौके पर ख‍िचड़ी और त‍िल-गुड़ दान देने का व‍िधान है

नई द‍िल्‍ली : हमारे देश में मकर संक्रांति के पर्व का व‍िशेष महत्‍व है, जिसे हर साल जनवरी के महीने में धूमधाम से मनाया जाता है. इस द‍िन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. परंपराओं के मुताबिक इस द‍िन सूर्य मकर राश‍ि में प्रवेश करता है. देश के व‍िभिन्‍न राज्‍यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. हालांकि प्रत्‍येक राज्‍य में इसे मनाने का तरीका जुदा भले ही हो, लेकिन सब जगह सूर्य की उपासना जरूर की जाती है. लगभग 80 साल पहले उन द‍िनों के पंचांगों के अनुसार मकर संक्रांति 12 या 13 जनवरी को मनाई जाती थी, लेकिन अब व‍िषुवतों के अग्रगमन के चलते इसे 13 या 14 जनवरी को मनाया जाता है. साल 2019 में इसे 14 जनवरी को मनाया जाएगा. 

क्‍या है मकर संक्रांति? 
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है. एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है. हालांकि कुल 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख हैं.

क्‍यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है.  सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्‍योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है. उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है. मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्‍नान और दान-पुण्य करने का व‍िशेष महत्‍व है. इस द‍िन ख‍िचड़ी का भोग लगाया जाता है. यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए ख‍िचड़ी दान करने का भी व‍िधान है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है. कई जगहोंं पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है.

मकर संक्रांति का महत्‍व 
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं. उत्तरायण देवताओं का अयन है.एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन देवता का एक दिन होता है. 360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है. सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं. अयन दो होते हैं-. उत्तरायण और दक्षिणायन.  सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात् गमन को उत्तरायण कहा जाता है. इस द‍िन से खरमास समाप्‍त हो जाते हैं. खरमास में मांगल‍िक काम करने की मनाही होती है, लेकिन मकर संक्रांति के साथ ही शादी-ब्‍याह, मुंडन, जनेऊ और नामकरण जैसे शुभ काम शुरू हो जाते हैं. मान्‍यताओं की मानें तो उत्तरायण में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है. धार्मिक महत्व के साथ ही इस पर्व को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं जहां रोशनी और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की पूजा होती है.

मकर संक्रांं‍ति की पूजा व‍िध‍ि
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए. 
तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए. अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए. इस द‍िन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है.
इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए. 

मंत्र
मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव का स्मरण करना चाहिए. गायत्री मंत्र के अलावा इन मंत्रों से भी पूजा की जा सकती है: 
1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
2-  ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम: 



शुभ मुहूर्त
साल 2019 में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2019, रविवार के दिन मनाई जाएगी.
पुण्य काल मुहूर्त- रात 02:00 बजे से सुबह 05:41 तक
मुहूर्त की अवधि- 3 घंटा 41 मिनट
संक्रांति समय- रात 02:00 बजे
महापुण्य काल मुहूर्त- 02:00 बजे से 02:24 तक 
मुहूर्त की अवधि- 23 मिनट



मकर संक्रांति आज, भूल कर भी न करें यह 5 काम....

जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, वह दिन ही मकर संक्रांति कहलाती है। मकर संक्रांति से उत्तरायन आरंभ होता है। उत्तरायन के छः माह उत्तम होते हैं। 
मकर संक्रांति से रथ सप्तमी तक का काल पर्वकाल होता है। इस पर्वकाल में दान एवं पुण्य के कर्म विशेष फलदायी होते हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक संक्रांति में तीर्थ स्नान पुण्यकाल होता है। मकर संक्रांति के काल में तीर्थ स्नान का विशेष महत्व है। 
गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी नदियों के तीर पर बसे क्षेत्रों में स्नान करने से महापुण्य का लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के समय तीर्थ क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि संक्रांति देवी जिसे स्वीकार करती हैं, उसके पापों का नाश होता है।

इस दिन तिल का तेल व उबटन, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित पानी पीना, तिल होम, तिल का दान, इन पद्धतियों से तिल का उपयोग करने वालों के सर्व पाप नष्ट होते हैं। 
संक्रांति के पर्व काल में दांत मांजना, कठोर बोलना, वृक्ष, घास काटना, काम, तथा विषय सेवन जैसे कृत्य नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन नए बर्तन, वस्त्र, अन्न, तिल, तिल पात्र, गुड़, गाय, घोड़ा, सुवर्ण व भूमि का यथाशक्ति दान अवश्य करना चाहिए। 
खास तौर पर इस दिन सुहागिनें दान करती हैं, उसके उपरांत तिल-गुड़ देती हैं। इस दिन 13 या 14 महिलाओं को हल्दी-कुंमकुम लगाकर चीजें भेंट करने का बहुत महत्व है। 

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